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 Hindi Department - Kanchan Shukla

शिक्षा-शिक्षक और पीढ़ी

शिक्षा-शिक्षक है सीढ़ी

जो चढ़ेगी आगे की पीढ़ी...

शिक्षा की पहचान शिक्षक द्वारा होती है और शिक्षक की अपनी पहचान उसकी शिक्षा द्वारा । यह दोनों

 एक दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं।


कबीर दास जी ने अपने दोहे में कहा भी है -

"जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान |

मोल करो तरवार का पड़ा रहने दो म्यान ||”


अर्थात व्यक्ति के ज्ञान की पूजा होनी चाहिए न कि उसके बाहरी दिखावे की  |

शिक्षा न सिर्फ़ ज्ञान प्रदान करती है बल्कि चरित्र निर्माण में भी सहायता करती है । सही दिशा में प्राप्त की

 गई शिक्षा ही देश को उन्नत बनाने में सहायक सिद्ध होती है। जीवन में औपचारिक शिक्षा मिले या

अनौपचारिक शिक्षा ये दोनों एक शिक्षक के बिना अधूरे ही हैं।


गुरु शब्द का अर्थ है – अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला   तथा

शिक्षक का अर्थ है – भौतिक विषयों की अज्ञानता दूर कर ज्ञान प्रदान करने वाला |

कहा भी जाता है - "गुरु बिन ज्ञान न ऊपजे गुरु बिन मिटे न भेद"

बिना पथ प्रदर्शक के शिक्षा को सही दिशा नहीं मिल पाती है।

कहते भी हैं “पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया” अर्थात शिक्षा सभी के जीवन का एक अभिन्न अंग है।


शिक्षा पूर्ण होती है एक शिक्षक द्वारा, शिक्षक किसी भी युग में क्यों न जन्मा हो, पूजा वह अपने ज्ञान द्वारा

 ही जाता है | उसमें न किसी परिस्थिति, न जात-पाँत और न ही किसी प्रकार का कोई धर्म ही आड़े आता

 है | उदाहरण के रूप में हमारी पहली शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तथा महात्मा ज्योतिबा फुले जी को ही ले

 लीजिए | इतना ही नहीं श्री राम से लेकर श्री कृष्ण तक, सूरदास से लेकर मीरा बाई तक, गुरुनानक से

 लेकर महात्मा बुद्ध तक सभी को शिक्षक के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी | तथा ऐसे कितने ही

 अनगिनत गुरु और शिक्षक हैं जिन्होंने दीपक बनकर स्वयं को जलाया तथा प्रकाशित होते हुए अपने

 शिष्यों का मार्गदर्शन किया और युगों-युगों तक करते भी रहेंगे। 



शिक्षक शब्द का अर्थ है –

शि -  शिखर तक पहुँचाने वाला

क्ष - क्षमा का भाव रखने वाला

क - कमज़ोरियों को दूर करने वाला

अर्थात अपने छात्रों की कमज़ोरियों को दूर कर उनकी सभी कमियों को क्षमा कर उसे शिखर तक पहुँचाने

 वाला एक शिक्षक ही होता है।शिक्षक वह नहीं जो सिर्फ़ पढ़े और पढ़ाए, बल्कि शिक्षक वह होता है जो

 पढ़ाए तथा सरल अर्थों में उस ज्ञान को वर्तमान स्थिति से जोड़ दे जिससे छात्र वह पढ़ाया हुआ ज्ञान कभी

 न भूल पाए। जीवन में ज्ञान की प्राप्ति कहीं से भी हो सकती है अतः जो भी इसका साधन है वह एक

 शिक्षक के रूप में ही होता है । शिक्षक पानी की भाँति होता है, उसके पास जो भी ज्ञान है उस ज्ञान को

 अपने आने वाली पीढ़ी के अनुसार उन्नयन करते हुए तथा नई-नई तकनीकियों को अपनाते हुए स्वयं को

 उसके अनुरूप ढाल ले । इसी को ध्यान में रखते हुए ‘नई शिक्षा नीति 2020’ को भी रुचिकर रूप से

 प्रस्तुत किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी आसानी से अपनी रुचि अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सके।

मनुष्य के चरित्र निर्माण के पीछे एक शिक्षक का ही हाथ होता है यदि चाणक्य जैसा शिक्षक चाहे तो अपने

 शिष्य को सही राह दिखाकर चंद्रगुप्त मौर्य राजा बना दे, या फिर उसे पतन की राह दिखाकर मिट्टी में भी

 मिला दे। अतः शिक्षा में शिक्षक का महत्त्वपूर्ण योगदान है |



अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए

वह शिक्षक..

कामयाबी की राह तुम्हें दिखाए

वह शिक्षक..

स्वयं पथ बन तुम्हें आगे बढ़ाए

वह शिक्षक..

ज़मीन पर रहकर तुम्हें ऊँचा उठाए

वह शिक्षक।

यदि शिक्षक द्रोणाचार्य है तो छात्र को भी अर्जुन होना पड़ेगा, तभी उसे चक्रव्यूह की रचना समझ आएगी ।

                                       "शिक्षक के लिए जितने शब्द कहूँ,

                                                         कम ही है,

                                          पूजनीय है शिक्षक इस धरा पर,

                                                     वह देव सम ही है ।"

 


लेख - कंचन शुक्ला

( हिंदी विभाग ) 

 

Comments

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. अनुपमेय लेख👌👍🙏
    हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ 💐💐

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